Unveiling the Mystery of Rahu in Third House - Lal Kitab (लाल किताब) 1941 with Astrologer Vijay Goel

Unlock the secrets of Rahu in Third House with Lal Kitab (लाल किताब) 1941 by Astrologer Vijay Goel. Explore its impact on courage, health, and relationships.

लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा सतासीवां वीडियो है। इसमे मैंने “राहु खाना नंबर 3” (जब कुंडली के तीसरे घर मे राहु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुण्डली का तीसरा भाव पराक्रम भाव है । यह सहजेश भाव भी कहा जाता है । यह घर व्यक्ति के परिश्रम, बल, बाहु, पराक्रम आदि का है। तीसरे भावसे जातक के जिम्मेदार होने, फर्ज निभाने, दूसरों की सहायता करने की हद का पता चलता है। उत्साह, स्फूर्ति, दृष्टि के प्रभावशाली होने, चोरी एवं बीमारी का सम्बन्थ भी इसी भाव से देखा जाता है। जातक के जीवन में उतार चढ़ाव को भी यही घर दिखाता है। कुंडली के तीसरे घर को वैदिक ज्योतिष में बंधु भाव भी कहा जाता है।
इस भाव के द्वारा पराक्रम, कर्म, भ्रातृ, साहस, धैर्य, शौर्य, आयुष्य, सहोद्र, नौकर-चाकर, गायन, योग, क्षय, श्वास, कास तथा दमा आदि रोगो का विचार किया जाता है। इस भाव का कारक मंगल है।
कुण्डली के तीसरे भाव का कारक ग्रह मंगल एवं राशि स्वामी बुध ग्रह है, परंतु मंगल का ज्यादा अधिकार होने के कारण बुध यहाँ शुभ फल नहीं देता, क्योकि मंगल बुध को कमजोर कर देता है । यह भाव’ दक्षिण-दिशा को व्यक्त करता है। इस भाब मेँ मेष, वृश्चिक एवं मकर राशि का मंगल अति शुभ होता है।
यदि इस भाव मेँ अशुभ ग्रह हो तो जातक को परिश्रम का पूरा फल कभी नहीं मिलता। शरीर के अंगों में यह घर कंधों तथा बाजुओं को दर्शाता है तथा विशेष रूप से दायें कंधे तथा दायें बाजू को। इसके अतिरिक्त तृतीय भाव आँख की पलकों, जिगर, खून की मात्रा एवं खून मेँ आँक्सीजन की मात्रा एवं अन्य प्रकारके रक्त दोषों को भी बताता है।
यह राहु का पक्का घर है। तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है। यदि यहां राहू शुभ हो तो, बहुत धन दौलत वाला और दीर्घायु होता। वह एक निडर और वफादार दोस्त होत
3 years ago
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