Impact of Ketu in Fourth House - Lal Kitab 1941 - EP100 - Astrologer Vijay Goel
Learn about the impact of Ketu in the Fourth House as per Lal Kitab 1941 in this informative video by Astrologer Vijay Goel. Discover both positive and negative effects for a better understanding of your horoscope.
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा सौवां वीडियो है। इसमे मैंने “केतु खाना नंबर 4” (जब कुंडली के चौथे घर मे केतु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
लाल किताब कुण्डली के चौथे घर को माता का घर कहा जाता है. इसका स्वामी और कारक ग्रह चंद्रमा है और इस घर को केन्द्र स्थानों में से एक माना जाता है. लाल किताब में इस केन्द्र स्थानों को बंद मुट्ठी का भाव कहा जाता है. इसे बंद मुट्ठी का भाव कहने से तात्पर्य य्ह भी है कि इस भाव से गर्भस्थ शिशु का विचार भी किया जाता है। चौथे घर के ग्रह रात्रिबली होते हैं इन ग्रहों के कारोबार भी रात्रि के समय किए जाएं तो बहुत लाभदायक माने गए हैं. माना जाता है कि संकट के समय जब कोई भी ग्रह मददगार नहीं बनता तब उस स्थिति में चौथे घर के ग्रह सहायक बनते हैं. चौथे घर में कर्क राशि की कल्पना की गई है. इस लिए चौथे घर में जो भी ग्रह स्थित होता है उसका प्रभाव चंद्रमा के समान होता है, लेकिन उक्त ग्रह का प्रभाव उस घर पर दिखाई देता है जहां शनि स्थित हो। अगर चौथे घर में कोई भी ग्रह नहीं हो तो वृद्धावस्था के समय तक उन्नति होती है। जब चौथे घर में कोई ग्रह नहीं हो तो दूसरा घर प्रबल हो जाता है।
केतु के चौथे भाव में स्थित होने के कुछ शुभफल बताए गए हैं उन्हीं के कारण आप शूर वीर और बलिष्ठ हो सकते हैं। आप सत्य बोलने में विश्वास रखते हैं। अधिकांशत: आप मधुरभाषी बने रहते हैं। आप धन धान्य से समृद्ध होंगे। आपको भाइयों और मित्रों से सुख मिलेगा। लेकिन यहीं स्थित केतू को अनेक प्रकार के दु:खों को देने वाला कहा गया है। जो आपको चंचल और बाचाल बना सकता है।
आप अपने कामों को करने में लापरवाही कर सकते हैं। आपके अंदर उत्साह की कमी देखने को मिल सकती है। आप पित्तप्रकृति के व्यक्ति होंगे। आप दूसरों की
3 years ago
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