Exploring the Impact of Saturn in the Sixth House - Lal Kitab 1941 EP78 with Astrologer Vijay Goel

Uncover the effects of Saturn in the Sixth House as per Lal Kitab 1941 in this insightful video by Astrologer Vijay Goel. Learn more about its impact on health, enemies, and debts. Contact for Lal Kitab 1941 PDF. #SaturnInSixthHouse #VedicAstrology

लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा अठेत्तरवां वीडियो है। इसमे मैंने “शनि खाना नंबर 6” (जब कुंडली के छ्ठे घर मे शनि स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
जन्मपत्री में छठा घर बीमारी, शत्रु और ऋण का माना गया है जिसका कारक ग्रह मंगल है। छठा भाव यदि कमजोर हो तो जातक को बीमारी, ऋण और शत्रुओं से परेशानी आ सकती है। छठा भाव शत्रु का भाव है। किसका शत्रु? जाहिर रूप से लग्न का, शरीर का, जीवन का, जातक का। यह कमियों का भाव है। हमारी कमियां ही हमारी शत्रु हैं। तीन सर्वाधिक अशुभ स्थानों, अर्थात षष्ठ, अष्टम व द्वादश स्थान में षष्ठ भाव द्वितीय स्तर पर आता है। अष्टम स्थान सर्वाधिक अशुभ है, इसके पश्चात षष्ठ तथा अंत में द्वादश स्थान अशुभ होता है। इस भाव से ऐसे सभी कार्य जो अधिक मेहनत से पूरे होते है, कर्मचारी, सेवक आदि का विचार इस भाव से करना चाहिए। इस भाव में शुभ ग्रहों का एक साथ स्थित होना, व्यक्ति को सेवा कार्यो में सदभाव व स्नेह का भाव देता है।
यदि शनि ग्रह से संबंधित काम रात में किया जाय तो हमेशा लाभदायक परिणाम मिलेंगे। यदि शादी के 28 साल के बाद होगी तो अच्छे परिणाम मिलेंगे। यदि केतु अच्छी स्थित में हो जातक धन, लाभदायक यात्रओं और बच्चों के सुख का आनंद पाता है। यदि शनि नीच का हो तो शनि से सम्बंधित चीजें जैसे चमडा, लोहा आदि को लाना हानिकारक होता है, खासकर तब, जब शनि वर्षफल में छठवें भाव में हो।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं। लाल किताब 1941 का विस्तृत वॉल्यूम PDF फॉर्मेट मे प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप्प (+918003004666) पर संपर्क करें। http://www.vijaygoel.net/
#SaturnInSixthH
4 years ago
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