Exploring the Effects of Moon in Eighth House - Lal Kitab 1941 with Astrologer Vijay Goel EP32
Unlock the secrets of Moon in Eighth House with Lal Kitab 1941 in EP32 by Astrologer Vijay Goel. Understand its impact on life, relationships, and more.
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा बत्तीसवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “चंद्रमा खाना नंबर 8” (जब कुंडली के आठवें घर मे चंद्रमा स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
किसी भी जन्म कुंडली में अष्टम भाव से व्यक्ति की आयु व मृत्यु के स्वरुप का विचार किया जाता है। अष्टम भाव त्रिक (6, 8, 12) भावों में सर्वाधिक अशुभ स्थान माना गया है। वैसे भी षष्ठ भाव (रोग, शत्रु, ऋण का भाव) से तृतीय (भ्राता) होने के कारण इसे अशुभता में षष्ठ भाव का भ्राता (भाई) ही समझिये। कुंडली का 8 भाव आपके नाभि से नीचे के स्थान को भी बताता है वो कितने हष्ट पुष्ट है। जब यह भाव कुंडली में बहुत मझबूत होता है इंसान पारिवारिक बंधन और सब रिश्तों से हटकर कुछ अलग करता है वो इस दुनिया के लिए एक मिसाल बनकर भी दिखा सकता है। कुंडली में आठवां भाव विरासत को दर्शाता है। घर के मुखिया की अचानक मृत्यु के बाद मिलने वाली संपत्ति आठवें भाव से देखी जाती है।
अष्टम भाव के चंद्रमा (Moon in Eighth House) से जातक सदा एक अनजान भय से घिरा रहता हैं, मन में अस्थिरता बनी रहती है, भावनात्मक रुप से स्वयं को असुरक्षित महसूस कर सकता हैं। चंद्रमा के इस भाव में होने से जातक भोग-विलासी हो सकता हैं और जातक के बहुत से संबंध दुनिया से छिपे रह सकते हैं। आठवाँ भाव गूढ़ विद्याओ का भी है जातक गुप्त अथवा जासूसी जैसे काम भी कर सकते हैं। जातक के माता से संबंध अपेक्षाकृत कम ठीक रहेंगे या माता को कष्ट रह सकता है।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं। लाल किताब 1941 का विस्तृत वॉल्यूम PDF फॉर्मेट मे प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप्प (+918003004666) पर सं
5 years ago
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