Exploring the Influence of Moon in Ninth House - Lal Kitab 1941 with Astrologer Vijay Goel
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लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा तेतीसवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “चंद्रमा खाना नंबर 9” (जब कुंडली के नौवें घर मे चंद्रमा स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुंडली का नवा भाव सबसे महत्वपूर्ण और सुख देने वाला भाव है। इस घर का स्वामी और कारक दोनों ही बृहस्पति हैं। लाल किताब में इस स्थान को गुरू की गद्दी कहा गया है। नवा भाव देवस्थान, देवकृपा, पितृस्थान, पितृकृपा, धर्म कर्म, दान पुण्य, तीर्थस्थान, उच्चता, जातक की किस्मत आदि का भाव है। यह भाव आध्यात्मिक प्रगति, भाग्योदय, बुद्धिमत्ता, गुरु, परदेश गमन, ग्रंथपुस्तक लेखन, तीर्थ यात्रा, भाई की पत्नी, दूसरा विवाह आदि के बारे में भी बताता है।
नौंवे भाव में चंद्रमा (Moon in Ninth House) होने से जातक संतति, संपत्तिवान, धर्मात्मा, कार्यशील, प्रवास प्रिय, न्यायी, विद्वान एवं साहसी होता है। नौवें घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में धर्म भाव अथवा धर्म स्थान के नाम से जाना जाता है तथा कुंडली का यह घर मुख्य तौर पर कुंडली धारक के पूर्व जन्मों में संचित अच्छे या बुरे कर्मों के इसे जन्म में मिलने वाले फलों के बारे में बताता है। नौवां घर बृहस्पति, से सम्बंधित होता है जो चंद्रमा का परममित्र है। इसलिए जातक इन दोनों ग्रहों के लक्षण और सुविधाओं को आत्मसात करता है साथ ही अच्छे आचरण, कोमल हृदय, मन से धार्मिक, और धार्मिक कृत्यों तथा तीर्थयात्राओं से प्रेम करने वाला होता है।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी हो सकती है। वीडियो के बारें मे अपनी प्रतिक्रिया से अवगत अवश्य कराएं। लाल किताब 1941 का विस्तृत वॉल्यूम PDF फॉर्मेट मे प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप्प (+918003004666) पर संपर्क करें।
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5 years ago
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