Understanding the Impact of Moon in the First House - Lal Kitab 1941 | Astrologer Vijay Goel
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लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा पच्चसीवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “चंद्रमा खाना नंबर 1” (जब कुंडली के पहले घर मे चंद्रमा स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
किसी भी कुंडली में लग्न स्थान अथवा पहले घर का महत्त्व सबसे अधिक होता है तथा कुंडली धारक के जीवन के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में इस घर का प्रभाव पाया जाता है। कुंडली धारक के स्वभाव तथा चरित्र के बारे में जानने के लिए पहला घर विशेष महत्त्व रखता है तथा इस घर से कुंडली धारक की आयु, स्वास्थ्य, व्यवसाय, सामाजिक प्रतिष्ठा तथा अन्य कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में पता चलता है।
कुंडली का पहला घर शरीर के अंगों में सिर, मस्तिष्क तथा इसके आस-पास के हिस्सों को दर्शाता है तथा इस घर पर किसी भी बुरे ग्रह का प्रभाव शरीर के इन अंगों से संबंधित रोगों, चोटों अथवा परेशानियों का कारण बन सकता है।
प्रथम भाव में स्थित चंद्रमा आपको साहसी और देखने में आकर्षक व्यक्तित्व देता है। आप अधिकांशत: प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति हैं। आप सामाजिक होने के साथ-साथ यात्राओं के शौकीन व्यक्ति हैं। आप अपने जीवन काल में कई बार विदेश यात्रा कर सकते हैं। आपकी रुचि आध्यात्म में भी हो सकती है और आप इस क्षेत्र में कोई बडी उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं।
लग्न में चंद्रमा होने के कारण आप बहुत भावुक और संवेदनशील हो सकते हैं। आपकी कल्पनाशक्ति बहुत प्रबल होगी। सृजनात्मक और रचनात्मक कार्यों को करने में आपकी अच्छी खासी रुचि होगी और आप इन क्षेत्रों में कुछ विशेषकर सकते हैं। आपको परिवर्तन बहुत पसंद होगा और आप अपने जीवन साथी से बहुत अधिक लगाव रखेंगे। आपको घूमना फिरना बहुत पसंद होगा।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अल
5 years ago
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