Impact of Moon in the Second House - Lal Kitab 1941 - EP26 Astrologer Vijay Goel

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For Astro Consultation and Appointment, whatsapp\text at +91 8003004666. लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा छब्बीसवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “चंद्रमा खाना नंबर 2” (जब कुंडली के दूसरे घर मे चंद्रमा स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
दूसरे भाव को धन भाव कहते हैं। अत: इस भाव से जातक को परिवार से मिलने वाला धन देखा जाता है। उसकी पारिवारिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। एक जातक जिस परिवार में पैदा होता है, वह उस परिवार की धन संपत्ति क भागीदार बन जाता है, इसलिए इस भाव से कुटुभ्ब का धन पता चलता है। इसी के साथ यह भाव वाणी और दाईं आंख के विषय में भी बताता है।
बैंक में जमा धन, जवाहरात, आभूषण, धन से जुडे मामलें, वकील, बैंकर्स, बाँण्ड, जमापूंजी, स्टाक और शेयर बाजार, स्व-प्रयासों से संचित धन, नाखुन, संसारिक, प्राप्तियां, दान्त, जीभ इत्यादि के बारे में भी इसी भाव से देखा जाता है।
दूसरे भाव चंद्रमा स्थित होने पर वह भाव बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव में होगा। क्योंकि दूसरा घर बृहस्पति का पक्का घर होता है और दूसरी राशि बृषभ का स्वामी शुक्र होता है। यहां स्थित चंद्रमा बहुत अच्छे परिणाम देता है। चंद्रमा इस घर में बहुत मजबूत हो जाता है क्योंकि उसे शुक्र के खिलाफ बृहस्पति का अनुकूल समर्थन मिल जाता है।
यदि चन्द्रमा द्वितीय भाव में है और चन्द्रमा का फल अच्छा नहीं मिल रहा है तो ऐसे जातक को विदेश प्रवास करना चाहिए। यदि जातक विदेश में जाता है तो उसका भाग्योदय अवश्य होगा। यही नहीं सार्वजानिक संस्थाओं के सम्बन्ध से भी भाग्योदय होता है। ऐसे व्यक्ति को किसी न किसी गैर सरकारी संस्था (NGO) से जुड़कर अवश्य ही रहना चाहिए।
ये विवेचना लाल किताब ज्योतिषियों के अलावा, भृगु नंदी नाड़ी ज्योतिषियों और वैदिक (पाराशर) ज्योतिषियों के लिए भी उपयोगी
5 years ago
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