Understanding Rahu in the Second House - Lal Kitab 1941 Analysis with Astrologer Vijay Goel
"Explore the analysis of Rahu in the Second House in Lal Kitab 1941 with Astrologer Vijay Goel. Learn about wealth, communication skills, and more in this insightful video."
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा छियासीवां वीडियो है। इसमे मैंने “राहु खाना नंबर 2” (जब कुंडली के दूसरे घर मे राहु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुण्डली का दूसरा भाव धन स्थान कहलाता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस घर का अपना एक विशेष महत्व होता है। इसलिए किसी कुण्डली को देखते समय इस घर का अध्ययन बड़े ध्यान से करना चाहिए।
कुण्डली का दूसरा घर कुण्डली धारक के द्वारा अपने जीवन काल में संचित किए जाने वाले धन के बारे में बताता है तथा इसके अतिरिक्त यह घर कुण्डली धारक के द्वारा संचित किए जाने वाले सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात तथा इसी प्रकार के अन्य बहुमूल्य पदार्थों के बारे में भी बताता है। किन्तु कुण्डली का दूसरा घर केवल धन तथा अन्य बहुमूल्य पदार्थों तक ही सीमित नहीं है तथा इस घर से कुण्डली धारक के जीवन के और भी बहुत से क्षेत्रों के बारे में जानकारी मिलती है।
दूसरा भाव जातक की वाणी तथा उसके बातचीत करने के कौशल के बारे में भी बताता है। शरीर के अंगों में यह भाव चेहरे तथा चेहरे पर उपस्थित अंगों को दर्शाता है तथा कुंडली के इस भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने की स्थिति में जातक को शरीर के इन अंगों से संबंधित चोटों अथवा बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली का दूसरा भाव जातक की सुनने, बोलने तथा देखने की क्षमता को भी दर्शाता है तथा इन सभी के ठीक प्रकार से काम करने के लिए कुंडली के इस घर का मज़बूत होना आवश्यक है।
कुण्डली का दूसरा भाव धन स्थान का कारक ग्रह गुरु है।
यदि दूसरे घर में राहू शुभ अवस्था में हो तो जातक पैसा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और किसी राजा की तरह जीवन जीता है। जातक दीर्घायु होता है। दूसरा भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है। यदि बृहस्प
3 years ago
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